पहली चुदाई का सुख लॉण्डरी वाले से-1

दोस्तो, मैं फेहमिना एक बार फिर आप सबके सामने अपनी एक सेक्सी कहानी लेकर हाज़िर हूँ.
आज की यह कहानी मेरी नहीं है, बहुत से मेरे प्रशंसकों ने मुझे मेरी प्यारी बहन आयेशा की पहली सेक्स कहानी लिखने का आग्रह किया था. मगर मुझे खुद आयेशा की पहली सेक्स कहानी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था. और बहुत दिन से आयेशा से मिली भी नहीं थी तो मैंने सोचा कि जिस दिन आयेशा आएगी तो उस दिन उससे पूछकर कहानी लिखूंगी.

मेरी पिछली कहानी मेरे भाई की थी
नैनीताल में दो लड़कियां के साथ ग्रुप सेक्स
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और अब पेश है आप सबके सामने आयेशा की पहली चुदाई की कहानी उसी की जुबानी:

दोस्तो, मैं आयेशा इक़बाल हूँ. आप सब तो मुझे जानते ही होंगे. जो लोग मुझे नहीं जानते, उन्हें मैं बता दूँ कि मैं अपनी सेक्सी बहन फेहमीना इक़बाल की छोटी बहन हूँ. मैं अब 24 साल की एक माल कहने लायक लड़की हूँ. मेरा फिगर 32 26 34 है. तो आप लोग अंदाजा लगा सकते हो कि मैं कैसी हो सकती हूँ.

अब अगर सबके लंड खड़े हो गए हों और लड़कियों की चूत से पानी आना शुरू हो गया हो तो अब सीधे कहानी पर आते हैं।
जैसा कि शुरू में ही आप सबने पढ़ लिया होगा कि यह हिन्दी सेक्सी कहानी मेरी पहली बार चुदाई की है.
तो अब सीधे कहानी पर आते हैं।

यह बात तब की है जब मैं 19 साल की थी. उस वक़्त मैं घर वालों से दूर जयपुर में एक हॉस्टल में रहकर पढ़ती थी. मैं बी.कॉम होनर्स के 1st इयर में थी. मैं हॉस्टल में रहती थी.

हॉस्टल में मेरे साथ मेरी एक बहुत पक्की सहेली रहती थी जिसका नाम सनम जहाँ था. वो भी 19 साल की थी और वो भोपाल की रहने वाली थी. वो बहुत गोरी और सेक्सी माल थी. मगर ये सिर्फ मुझे पता था. बाकी बाहर की दुनिया के लिए वो एक निहायती शरीफ लड़की थी जो हमेशा बुरका पहनती थी, जिसे लड़कों की तरफ देखना भी पसंद नहीं था.

लेकिन उसकी असलियत सिर्फ मैं जानती थी क्यूंकि वो अक्सर रात को अपने फ़ोन में ब्लू फिल्म देखकर अपनी जवां चूत में उंगली करती थी. बहुत बार तो हम दोनों ने साथ ही ब्लू फिल्म देखी थी और एक दूसरी की चूत की आग को शांत किया था.

हम दोनों एक दूसरे के साथ लेस्बियन सेक्स करती थी जिससे दोनों के बदन की आग यानि अन्तर्वासना कुछ हद तक शांत हो भी रही थी. या यूँ कहिये कि इससे हमारे अंदर की आग और ज्यादा बढ़ भी रही थी क्यूंकि अब हमारा एक दूसरी के उंगली से काम नहीं चल रहा था. अब हमें किसी गबरू जवान मर्द के नीचे लेटकर उनका लंड अपनी चूत में लेना था.

मगर बाहर के आवारा लड़कों पर हम अपनी जवानी बर्बाद नहीं करना चाहती थी. इसलिए हमने सोचा कि किसी शरीफ से दिखने वाले लड़के को अपने जाल में फसाएँगी और उससे अपनी अपनी कुंवारी बुर की पहली चुदाई करवाएंगी.
अगर वो किसी को बोल भी देगा तो कोई उसकी बात पर यकीन नहीं करेगा क्यूंकि कॉलेज और हॉस्टल में हम दोनों लड़कियाँ बहुत ही शरीफ थी और हमारी इमेज बहुत साफ़ थी.

फिर एक दिन हम लोग हम हॉस्टल की खिड़की से बाहर झांक रही थी तो मेरी नज़र सामने लॉण्डरी और चाय की दूकान पर काम करने वाले एक लड़के पर पड़ी. वो कोई 25 या 26 साल का लड़का था. मगर वो शरीर के बहुत गठीला लग रहा था, थोड़ा सा स्मार्ट भी था.
वो कहते हैं ना कि गरीबी आपकी खूबसूरती को छुपा लेती है.

तो मैंने सनम से बोला- यार, अगर उस लड़के को पटा लिया जाये तो हमारा काम बन सकता है.

क्यूंकि वो लड़का हमारे हॉस्टल में चाय देने और लड़कियों के कपड़े प्रेस करने के लिए ले जाने की वजह से आता रहता था. तो सनम ने पहले तो मना कर दिया, बोली- अगर इसने किसी से बोल दिया तो सारे में बदनामी हो जाएगी.
तो मैंने उसे बोला- ये किसी से कुछ नहीं बोलेगा क्यूंकि हम इसे रोज सेक्स का लालच देंगी.

तो सनम को धीरे धीरे बात समझ आ गयी. फिर हमने प्लान बनाना शुरू किया कि कैसे इसे पटाया जाये. मगर कोई आईडिया समझ ही नहीं आ रहा था।

फिर एक दिन हम लोग कॉलेज जा रहे थे तो कॉलेज के सामने मेरी नज़र उस लड़के पर पड़ी.
मैंने देखा वो मेरी तरफ ही आ रहा था … शायद किसी को चाय देने!

तो मैंने उसे बुलाया और बोली- शाम को जब हॉस्टल आओ तो मेरे रूम से भी कपड़े ले लेना!
वो बोला- ठीक है.
फिर हम दोनों चली गयी और शाम का इंतजार करने लगी.

शाम को लगभग 6 बजे गेट पर किसी ने दस्तक दी तो सनम से दरवाजा खोला.
उस वक़्त मैं बाथरूम में थी तो मैंने सनम से बोला- अगर राजू हो तो उसे रोक लेना, मुझे भी अपने कपड़े देने हैं.
तो सनम ने उसे अंदर बुला लिया और बोली- बैठ जाओ!

तभी मेरे दिमाग में एक शैतानी आईडिया आया, मैंने झट से सिर्फ तौलिया लपेटा और बाहर आ गयी. मुझे इस हालत में देखकर सनम और राजू दोनों चौंक गए.
मैंने देखा कि राजू के लंड के पास उभार धीरे धीरे बढ़ रहा था.

फिर राजू उठकर जाने लगा तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली- कहाँ जा रहे हो? कपड़े तो ले जाओ!
तो बोला- दीदी, मैं बाद में आता हूँ.
उसके मुँह से दीदी सुनकर मेरी हंसी निकल गयी और मैं सोचने लगी कि थोड़े दिन में टू इसी दीदी का बहनचोद भाई बनने वाला है.

मैंने उसे बिठा लिया तो वो बिस्तर पर बैठ गया. उसके सामने हमारी अलमारी थी जिसमें से मुझे कपड़े निकालने थे. तो मैं कपड़े निकलने लगी.

सनम इतनी देर में नहाने चली गयी.

मेरे दिमाग में फिर से शरारत सूझी तो मैंने अपनी एक टीशर्ट नीचे गिरा दी. उसे उठाने के बहाने जैसे ही मैं नीचे झुकी तो उसे मेरी गांड के दर्शन जरूर हो गए होंगे क्यूंकि उस वक़्त मैंने पैन्टी नहीं पहनी थी.

ये सब करते हुए मेरी गांड भी फट रही थी क्यूंकि ये सब मैं पहली बार कर रही थी.
मैंने देखा कि राजू की तरफ से कोई रिएक्शन ही नहीं था. मैंने सोचा की ये कितना सीधा लड़का है, एक लड़की ने अपनी गांड तक दिखा दी मगर ये बंदा हिला तक नहीं.

फिर अचानक से उसने मेरे हाथ से कपड़े लिए और भाग गया.

रात को सनम और मैंने लेस्बियन सेक्स किया. सेक्स करते हुए मैंने उसे जो कुछ हुआ वो सब बताया.
तो वो बोली- साली, तू तो मरवा देगी किसी दिन! तेरी चूत में ज्यादा आग लग रही है.
मैंने उसको बोला- तेरी चूत में आग नहीं लग रही क्या?
तो वो बोली- यार मेरी चूत तो तुझे सुबह टॉवल में देखकर ही पानी छोड़ गयी थी. मन कर रहा था कि उस राजू के सामने तुझे नंगी करके तेरी चूत को अपनी उंगली से चोदना शुरू कर दूँ.

उस रात हम दोनों ऐसे ही मस्ती करती हुई सो गयी. फिर सुबह सनम मुझे बोली- आज जब राजू आएगा तब मैं उसे कपड़े लूंगी. तू किसी काम में बिजी रहना.
तो मैं उसका प्लान समझ गयी कि आज तो राजू गया समझो.
और मैंने उसकी गांड पर एक चपत लगा दी.

फिर हम कॉलेज जाने लगी तो रास्ते में सनम ने राजू को बोला- सुनो, आज कपड़े ध्यान से दे देना.
तो वो बोला- जी दीदी, आज पक्का कपड़े मिल जायेंगे.

फिर हम दोनों शाम का इंतजार करने लगी. शाम को राजू 5 बजे ही आ गया. उस टाइम हॉस्टल में हलचल बहुत रहती है तो मैंने सनम को बोला- राजू को बोल दे कि कपड़े आयेशा के हैं तो वो ही लेगी. मगर वो अभी बाहर गयी हुई है. तुम दो घंटे बाद आकर दे जाना.

तो सनम ने राजू को ऐसा बोल दिया और राजू चला गया.
फिर शाम को सात बजे राजू फिर आया. फिर मैंने दरवाजा खोला तो उसने गेट से ही कपड़े मुझे पकड़ा दिए और पैसों को बोला.

मैंने उसको बोला- अंदर आ जाओ, पैसे निकलकर देती हूँ.
वो अंदर आ गया.

उसके पीछे मैंने देखा कि किसी ने राजू को अंदर आते तो नहीं देखा. जब मुझे तसल्ली हो गयी तो मैंने गेट बंद कर दिया.
तो राजू बोला- दीदी, आपने गेट क्यू बंद किया? मुझे जाना है अभी!
मैंने उसे बोला- राजू, थोड़ी देर तो बैठो!

फिर मैं अंदर जाकर पैसे ढूंढने का बहाना करने लगी. मुझे पैसे मिल भी गए मगर मैं जानबूझकर हजार का नोट लेकर आयी और राजू को दे दिया.
तो राजू बोला- दीदी खुले पैसे दे दो.
मैंने उसके कहा- मेरे पास खुले पैसे नहीं हैं.

फिर मैंने राजू को बोला- रुको, मैं सनम से पूछती हूँ.
सनम प्लान के मुताबिक बाथरूम में थी और मेरी आवाज़ का ही इन्तजार कर रही थी.

मैंने जैसे ही उसे आवाज़ लगायी तो तुरंत सनम बोली- आ रही हूँ.
फिर एक मिनट बाद वो सिर्फ ब्रा पैन्टी में बाहर आ गयी.

उसे अधनंगी देखकर राजू एकदम से खड़ा हो गया तो सनम नाटक करने लगी और तुरंत एक टॉवल से अपने बदन को ढकने लगी.
फिर बोली- राजू तो एकदम से डर गया?
इस पर हम दोनों हंसने लगी जिससे राजू झेंप गया.

फिर मैंने सनम से पैसे लिए और राजू को देने के लिए हाथ आगे बढ़ाया.
जैसे ही राजू ने पैसे पकड़े, मैं उसे अपनी तरफ खींचकर किस करने लगी. जिससे वो एकदम से चौंक गया, फिर वो भाग गया.

उसके जाने के बाद सनम ने मुझे पूछा- कैसा लगा?
तो मैंने बताया- यार, मज़ा आ गया.
वो बोली- कल मेरी बारी है.
तो मैंने उसको हाँ बोला.

और ऐसे ही रात निकल गयी.

अगले दिन कॉलेज जाते टाइम सनम ने राजू को बोला- आज मेरे बहुत सारे कपड़े हैं, आकर ले जाना.
और फिर हम कॉलेज चली गयी.

शाम को राजू शायद जानबूझकर सात बजे आया तो हमने उसे अंदर ले लिया और सनम ने जाते ही उसे किस करना शुरू कर दिया.
राजू अपने आपको छुड़ाने की कोशिश कर रहा था मगर सनम उसे छोड़ ही नहीं रही थी.

फिर सनम ने थोड़ी देर बाद उसे छोड़ा और उसे बोली- देख राजू, तू हम दोनों के साथ मस्ती कर सकता है. बदले में तू ये बात किसी से बोलेगा नहीं … वरना हम बोल देंगी कि तूने हमारे साथ छेड़छाड़ की है. फिर फंसेगा तू ही. तो चुपचाप तू भी मज़े ले और हमें भी लेने दे.

वो चुप रह गया.
तो मैंने उसे मेरी तरफ किया और उसे किस करने लगी.

फिर मैंने उसका हाथ उठाकर अपने बूब्स पर रख दिया और उसके हाथ से दबाने लगी. अब राजू भी मस्ती में आ गया, उसने मुझे जोर जोर से किस करना शुरू कर दिया. अब मुझे भी मज़ा आ गया और उधर सनम से पीछे से राजू को पकड़ लिया और पैंट के ऊपर से उसका लंड सहलाने लगी.

हमने राजू के साथ थोड़ी देर ही मस्ती की कि राजू बोला- अभी मुझे जाने दो, मेरे मालिक मेरा इंतजार कर रहे होंगे. मैं रात को आ जाऊंगा.
सनम बोली- रात को कैसे आएगा? गेट तो बंद हो जाता है.
तो वो बोला- मुझे एक ख़ुफ़िया रास्ता पता है, मैं रोज रात को आता हूँ.
यह बोलकर उसने आंख मारी और चला गया.

अब चौंकने की बारी हमारी थी.
कि ये साला आता कहाँ से है?

खैर ये सोचते सोचते दस बज गए मगर राजू नहीं आया. हमें लगा कि साला चुतिया बना गया.
सनम बोली- उस मादरचोद से तो कल बदला लेंगे. साला बहन का लोड़ा हमें चुतिया बनाकर गया बहनचोद.
सनम का ये रूप मैंने पहली बार देखा था. जिसे देखकर मेरी हंसी निकल गयी.
मगर फिर हम सोने चली गयी।

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कहानी का अगला भाग: पहली चुदाई का सुख लॉण्डरी वाले से-2